इंडिया का वो बादशाह जिसके सामने मुगलों को छुपने की जगह नहीं मिली
शेर शाह सूरी का इतिहास / Sher Shah Suri History In Hindi
नाम (Name) | शेर शाह सूरी (फरीद खान, शेर खान) (Sher Shah Suri) |
जन्म (Birthday) | 1485- 1486, हिसार, हरियाणा (1472 रोहतास जिले के सासाराम में) |
मृत्यु (Death) | 22 मई 1545 बुंदेलखंड के कालिंजर में |
पिता (Father Name) | हसन खान सूरी |
पत्नी (Wife Name) | रानी शाह |
पुत्र (Children) | इस्लाम शाह सूरी |
स्मारक (Memorial) | दिल्ली के पुराने किले पर किला-ऐ-कुहना मस्जिद, रोहतास किला, पटना में शेरशाह सूरी मस्जिद। |
किताबें (Books) | अब्बास खान सर्वाणि द्वारा, तारीख़-ऐ-खान जहानी वा माख़ज़ान-ऐ-अफ़ग़ानी, तारीख़-ऐ-शेर शाही, तारीख़-ऐ-अफ़ग़ानी, सर ऑलफ कैरोई द्वारा, दिल्ली के पठान राजाओं का इतिहास, द पठान्स आदि। |
क्या था इस बादशाह में कि मौत के 470 साल बाद भी लोग इसे सम्मान की नजर से देखते हैं?
- शेरशाह का जन्म 1486 के आस-पास बिहार में हुआ था. हालांकि इसके जन्म वर्ष और जगह दोनों को लेकर मतभेद है. कई जगह ये कहा जाता है कि शेरशाह का जन्म हिसार, हरियाणा में हुआ था. साल भी बदल जाता है. शेरशाह का नाम फरीद खान हुआ करता था. इनके पिताजी का नाम हसन खान था. हसन खान बहलोल लोदी के यहां काम करते थे. शेरशाह के दादा इब्राहिम खान सूरी नारनौल के जागीरदार हुआ करते थे. नारनौल में इब्राहिम का स्मारक भी बना है. ये लोग पश्तून अफगानी माने जाते थे. सूरी टाइटल इनके अपने समुदाय सुर से लिया गया था. ऐसा भी कहा जाता है कि इनके गांव सुर से ये टाइटल आता है. इतिहास की बात है, जब तक तीन-चार वर्जन नहीं रहते एक ही स्टोरी के, मजा नहीं आता.
- फरीद जब बड़ा हो रहा था, तभी उसने एक शेर मार डाला था. और इसी वजह से फरीद का नाम शेर खान पड़ गया. जहां शेर मारा था, उस जगह का नाम शेरघाटी पड़ गया. ये बातें भी कहानी हो सकती हैं. शेर खान के 8 भाई थे. सौतली मांएं भी थीं. शेर खान की घर में बनी नहीं, क्योंकि वो महत्वाकांक्षी था. वो घर छोड़कर जौनपुर के गवर्नर जमाल खान की सर्विस में चला गया. वहां से फिर वो बिहार के गवर्नर बहार खान लोहानी के यहां चला गया. यहां पर शेर खान की ताकत और बुद्धि को पहचाना गया. बहार खान से अनबन होने पर शेर खान ने बाबर की सेना में काम करना शुरू कर दिया. वहीं पर उसने नई तकनीक सीखी थी जिसके दम पर बाबर ने 1526 में बहलोल लोदी के बेटे इब्राहिम लोदी और बाद में राणा सांगा को हराया था. यहां से निकलकर फिर वो बिहार का गवर्नर बन गया.
✔शेरशाह✔
- ✔एक वक्त था कि मगध साम्राज्य इतना विशाल था कि सिकंदर भी हमला करने से मुकर गया था. पर बाद में धीरे-धीरे पावर सेंटर दिल्ली की तरफ शिफ्ट होने लगा था. शेर खान ने जब बिहार की कमान संभाली तो कोई भी बिहार को पावर सेंटर मानने को तैयार नहीं था. शेर खान ने अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी. अपनी सेना तैयार करने लगा.
✔1538 में शेर खान धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ाने लगा. बाबर की मौत के बाद हुमायूं बादशाह बना था. मुगल हिंदुस्तान छोड़कर वापस नहीं गए थे. जब हुमायूं बंगाल रवाना हुआ तो शेर खान ने उससे लड़ने का मन बना लिया. 1539 में बक्सर के पास चौसा में दोनों की भिड़ंत हुई. हुमायूं को जान बचा के भागना पड़ा. 1540 में फिर दोनों की भिड़ंत कन्नौज में हुई. वहां भी हुमायूं को हारना पड़ा. बंगाल, बिहार और पंजाब तीनों छोड़ के हुमायूं देश से ही भाग गया. शेर खान ने दिल्ली में सूर वंश की स्थापना कर दी. धीरे-धीरे उसने मालवा, मुल्तान, सिंध, मारवाड़ और मेवाड़ भी जीत लिया. अपना नाम शेरशाह रख लिया. हुमायूं 15 साल तक देश से बाहर रहा.
हुंमायूं और शेरशाह – Sher Shah Suri and Humayun
- दरअसल, 1535 से 1537 ईसवी में जब हुंमायूं आगरा में नहीं था और वह अपने मुगल सम्राज्य का विस्तार करने के लिए अन्य क्षेत्रों में फोकस कर रहा था, तभी शेर-शाह सूरी ने इस मौके का फायदा उठाकर आगरा में अपनी सत्ता मजबूत कर ली और इसी दौरान उसने Bihar पर भी पूर्ण रूप से अपना कब्जा जमा लिया।
वहीं इस दौरान मुगलों के शत्रु अफगान सरदार भी उसके समर्थन में खड़े हो गए। लेकिन शेर-शाह एक बेहद चतुर कूटनीतिज्ञ शासक था, जिसने मुगलों के अधीन रहते की बात करते हुए उन्हें सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए बड़ी खूबसूरती के साथ षड़यंत्र रचा।
- वहीं शेर शाह सूरी का गुजरात के शासक बहादुर शाह से भी अच्छे संबंध थे। बहादुर शाह ने शेर शाह की धन और दौलत से भी काफी मद्द की थी। जिसके बाद शेरशाह सूरी ने अपनी सेना और अधिक मजबूत कर ली थी। इसके बाद शेरशाह ने बंगाल में राज करने के लिए बंगाल के सुल्तान पर आक्रमण कर दिया और जीत हासिल की एवं बंगाल के सुल्तान से उसने काफी धन-दौलत और स्वर्ण मुद्रा भी जबरदस्ती ली थी।
इसके बाद 1538 ईसवी में एक तरफ जहां मुगल सम्राट हुंमायूं ने चुनार के किले पर अपना अधिकार जमाया। वहीं दूसरी तरफ शेरशाह ने भी रोहतास के महत्वपूर्ण और शक्तिशाली किले पर अपना अधिकार कर लिया एवं उसने बंगाल को निशाना बनाया और इस तरह शेरशाह बंगाल के गौड़ क्षेत्र पर अपना अधिकार जमाने में कामयाब हुआ।
हुंमायूं और शेर खां के बीच चौसा एवं बिलग्राम का प्रसिद्ध युद्ध एवं सूरी सम्राज्य की स्थापना – Battle of Chausa and Bilgram
- ✔साल 1539 में बिहार के पास चौसा नामक जगह पर हुमायूं और शेर शाह सूरी की मजबूत सेना के बीच कड़ा मुकाबला हुआ। इस संघर्ष में हुंमायूं की मुगल सेना को शेरशाह की अफगान सेना से हार का सामना करना पड़ा।
- ✔शेर शाह सूरी की सेना ने पूरी ताकत और पराक्रम के साथ मुगल सेना पर इतना भयंकर आक्रमण किया कि मुगल सम्राट हुंमायूं युद्ध क्षेत्र से भागने के लिए विवश हो गए, जबकि इस दौरान बड़ी तादाद में मुगल सेना ने अपनी जान बचाने के चलते गंगा नदी में डूबकर अपनी जान दे दी।
- ✔अफगान सरदार शेर खां की इस युद्द में महाजीत के बाद शेर खां ने ‘शेरशाह’ की उपाधि धारण कर अपना राज्याभिषेक करवाया एवं उसने अपने नाम के सिक्के चलवाए और खुतबे पढ़वाए। इसके बाद 17 मई 1540 ईसवी में हुंमायूं ने अपने खोए हुए क्षेत्रों को फिर से वापस पाने के लिए बिलग्राम और कन्नौज की लड़ाई लड़ी और शेर शाह सूरी की सेना पर हमला किया। लेकिन इस बार भी शेर खां की पराक्रमी अफगान सेना के मुकाबले।
- ✔हुंमायूं की मुगल सेना कमजोर पड़ गई और इस तरह शेर शाह सूरी ने जीत हासिल की और DELHI के सिंहासन पर बैठने एवं अपने सम्राज्य को पूरब में असम की पहाड़ियों से लेकर पश्चिम में कन्नौज तक एवं उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में बंगाल की खाड़ी में झारखंड की पहाड़ियों तक बढ़ा दिया था।
- ✔वहीं हुमायूं और शेरखां के बीच हुआ यह युद्ध, एक निर्णायक युद्ध साबित हुआ। इस युद्द के बाद हिन्दुस्तान में Babar द्धारा बनाए गया मुगल सम्राज्य कमजोर पड़ गया और देश की राजसत्ता एक बार फिर से पठानों के हाथ में आ गई। इसके बाद शेर शाह सूरी द्धारा उत्तर भारत में सूरी सम्राज्य की स्थापना की गई, वहीं यह भारत में लोदी सम्राज्य के बाद यह दूसरा पठान सम्राज्य बन गया।
शेरशाह के बारे में कई बातें फेमस हैं:
1. शेरशाह ने अपना प्रशासन हाई लेवल का रखा था. उसके रेवेन्यू मिनिस्टर टोडरमल को बाद में अकबर ने भी नियुक्त किया था. वो अकबर को नवरत्नों में से एक थे.
2. शेरशाह का दिमाग इतना तेज था कि उसने खावस खान को अपना कमांडर बना लिया था. खान बेहद गरीब व्यक्ति था. वो जंगल में लोमड़ियों का शिकार करता था. पर शेरशाह ने उसकी प्रतिभा को पहचाना.
3. शेरशाह के राज को लेकर कोई भी कम्युनल बात नहीं होती है. राज करने के मामले में वो अकबर से भी आगे थे. अकबर के चलते मुस्लिम नाराज थे क्योंकि वो हिंदुओं को प्रश्रय देता था. वहीं औरंगजेब के चलते हिंदू-मुस्लिम दोनों परेशान थे. पर शेरशाह ने सबको साध के रखा था. उसकी महत्वाकांक्षा सबसे अलग थी.
4. शेरशाह दूरदर्शी व्यक्ति था. उसने फेमस जीटी रोड बनवाया था. जो पेशावर से लेकर कलकत्ता तक था. उस वक्त ये बहुत ही बड़ी बात थी. इससे ट्रांसपोर्ट और व्यापार काफी बढ़ गया था.
5. अकबर के एक अफसर ने लिखा था कि शेरशाह के राज में कोई सोने से भरा थैला लेकर रेगिस्तान में भी सो जाए तो चोरी-छिनैती नहीं होती थी.
6. अकबर के ही करीबी अतगा खान के बेटे मिर्जा अजीज कोका ने लिखा था कि शेरशाह ने मात्र 5 सालों में जो फाउंडेशन तैयाप किया था कि वो आगे भी चलता रहा.
7. अकबर को शेरशाह का बनाया राज्य मिला था. शेरशाह की असमय मौत नहीं हुई होती तो कुछ और ही इतिहास देखने को मिलता.
नवंबर 1544 में शेरशाह ने कालिंजर पर घेरा डाला था. वहां के शासक कीरत सिंह ने शेरशाह के आदेश के खिलाफ रीवा के महाराजा वीरभान सिंह बघेला को शरण दे रखी थी. महीनों तक घेराबंदी लगी रही. पर कालिंजर का किला बहुत मजबूत था. अंत में शेरशाह ने गोला-बारूद के प्रयोग का आदेश दिया. शेरशाह पीछे रहने वालों में से नहीं था. वो खुद भी तोप चलाता था. कहते हैं कि एक गोला किले की दीवार से टकराकर इसके खेमे में विस्फोट कर गया. जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई.
शेर शाह सूरी के शासनकाल में विकास और महत्पूर्ण काम – Sher Shah Suri Work
- शेर शाह सूरी जनता की भलाई के बारे में सोचने वाला एक लोकप्रिय और न्यायप्रिय शासक था, जिसने अपने शासनकाल में जनता के हित में कई भलाई के काम किए जो कि इस प्रकार है –
शेरशाह सूरी ने की सबसे पहले की रुपए की शुरुआत – Sher Shah Suri Coins
- भारत में सूरी वंश की नींव रखने वाला शेरशाह ही एक ऐसा शासक था, जिसने अपने शासनकाल में सबसे पहले रुपए की शुरुआत की थी। वहीं आज रुपया भारत समेत कई देशों की करंसी के रुप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
भारतीय पोस्टल विभाग को किया विकसित – Reorganised Indian Postal System
- मध्यकालीन भारत के सबसे सफल शासकों में से एक शेरशाह सूरी ने अपने शासनकाल में भारत में पोस्टल विभाग को विकसित किया था। उसने उत्तर भारत में चल रही डाक व्यवस्था को दोबारा संगठित किया था, ताकि लोग अपने संदेशों को अपने करीबियों और परिचितों को भेज सकें।
शेरशाह सूरी ने विशाल ‘ग्रैंड ट्रंक रोड’ का करवाया था निर्माण – The Grand Trunk Road, built by Sher Shah Suri
- शेरशाह सूरी एक दूरदर्शी एवं कुशल प्रशासक था, जो कि विकास कामों का करना अपना कर्तव्य समझता था। यही वजह है कि सूरी ने अपने शासनकाल में एक बेहद विशाल ग्रैंड ट्रंक रोड का निर्माण करवाकर यातायात की सुगम व्यवस्था की थी। आपको बता दें कि सूरी जी दक्षिण भारत को उत्तर के राज्यों से जोड़ना चाहते थे, इसलिए उन्हें इस विशाल रोड का निर्माण करवाया था।
- सूरी द्दारा बनाई गई यह विशाल रोड Bangladesh से होती हुई दिल्ली और वहां से काबुल तक होकर जाती थी। वहीं इस रोड का सफ़र आरामदायक बनाने के लिए शेरशाह सूरी ने कई जगहों पर कुंए, मस्जिद और विश्रामगृहों का निर्माण भी करवाया था।
- इसके अलावा शेर शाह सूरी ने यातायात को सुगम बनाने के लिए कई और नए रोड जैसे कि आगरा से जोधपुर, लाहौर से मुल्तान और आगरा से बुरहानपुर तक समेत नई सड़कों का निर्माण करवाया था।
भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कसी नकेल:
- शेर शाह सूरी एक न्यायप्रिय और ईमानदार शासक था, जिसने अपने शासनकाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और भ्रष्ट्चारियों के खिलाफ कड़ी नीतियां बनाईं।
- शेरशाह ने अपने शासनकाल के दौरान मस्जिद के मौलवियों एवं इमामों के द्धारा इस्लाम धर्म के नाम पर किए जा रहे भ्रष्टाचार पर न सिर्फ लगाम लगाई बल्कि उसने मस्जिद के रखरखाव के लिए मौलवियों को पैसा देना बंद कर दिया एवं मस्जिदों की देखरेख के लिए मुंशियों की नियुक्ति कर दी।
सूरी ने अपने विशाल सम्राज्य को 47 अलग-अलग हिस्सों में बांटा:
- इतिहासकारों के मुताबिक सूरी वंश के संस्थापक शेरशाह सूरी ने अपने सम्राज्य का विकास करने और सभी व्यवस्था सुचारू रुप से करने के लिए अपने सम्राज्य को 47 अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया था। जिसे शेरशाह सूरी ने सरकार नाम दिया था।
- वहीं यह 47 सरकार छोटे-छोटे जिलों में तब्दील कर दी गई, जिसे परगना कहा गया। हर सरकार, के दो अलग-अलग प्रतिनिधि एक सेना अध्यक्ष और दूसरा कानून का रक्षक होता था, जो सरकार से जुड़े सभी विकास कामों के लिए जिम्मेदार होते थे।
- वहीं इतिहासकारों के मुताबिक शेरशाह के बाद मुगल सम्राट अकबर और उसके बाद के कई बादशाहों ने सूरी के द्धारा बनाई गईं नीतियों को कायम रखा।
शेर शाह सूरी का मकबरा – Tomb of Sher Shah Suri
- शेर शाह सूरी का मकबरा बिहार के सासाराम शहर में बना हुआ है। इसका निर्माण शेर शाह सूरी के जीवित रहते ही शुरु करवा दिया गया था। लेकिन शेर शाह सूरी की मौत के करीब तीन महीने बाद अगस्त, 1545 में इस मकबरे का निर्माण पूरा किया गया था।
- यह मकबरा भारत-इस्लामी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसे उस समय के प्रसिद्ध वास्तुकार मीर मुहम्मद अलीवाल खान द्वारा डिजाइन किया गया था। वहीं शेर शाह सूरी के मकबरे की भव्य सुंदरता और आर्कषक डिजाइन की वजह से इसे भारत के दूसरे Tajamahal के रुप में भी लोग जानते हैं।
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